Not known Facts About hindi story
Not known Facts About hindi story
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गोलू के घर में एक शरारती चूहा आ गया। वह बहुत छोटा सा था मगर सारे घर में भागा चलता था। उसने गोलू की किताब भी कुतर डाली थी। कुछ कपड़े भी कुतर दिए थे। गोलू की मम्मी जो खाना बनाती और बिना ढके रख देती , वह चूहा उसे भी चट कर जाता था। चूहा खा – पीकर बड़ा हो गया था। एक दिन गोलू की मम्मी ने एक बोतल में शरबत बनाकर रखा। शरारती चूहे की नज़र बोतल पर पड़ गयी। चूहा कई तरकीब लगाकर थक गया था, उसने शरबत पीना था।
बीबीसी के लिए कलेक्टिव न्यूज़रूम की ओर से प्रकाशित
The novel delves into the intricacies of their relationship, inspecting the societal anticipations, moral dilemmas, and private sacrifices they face. As being the people navigate the challenges posed by like, duty, and honour, the novel raises profound questions about the nature of good and evil. This Hindi fiction e book is celebrated for its deep exploration of human feelings as well as the philosophical themes it addresses.
Utilizing sharp wit and humor to depict the absurdities of electric power dynamics, caste prejudices, and the clash in between custom and modernity, this novel remains a timeless vintage.
These best Hindi fiction textbooks discover the intricacies of relationships, delve into societal nuances, and challenge regular contemplating.
सियार सीधा राजा के पास गया और वहां जा के सियार ने किसान के बारे में राजा को सब बताया। राजा बहुत दिन से अपने खेतों के लिए एक ऐसा ही मेहनती किसान here ढूंढ रहा था और उसने सियार से किसान को राजमहल लाने को कहा।
काफी देर भटकने के बाद उसे जोर से भूख और प्यास लगी।
मोरल – अधिक शरारत और दूसरों को तंग करने की आदत सदैव आफत बन जाती है।
Tradition From ‘long term faking’ to ‘love bombing’: The best way to recognise red flags in interactions
यह कहानी हमें कभी भी चोरी न करने और हमेशा नेक रास्ते पर चलने की सीख देती है।
यह दुर्भाग्य ही था कि इस कहानी को दलित विमर्श के तहत पिछले वर्षों में विवादों में घेरा गया.
यह कवच विशाल को कुछ दिनों में भारी लगने लगा। उसने सोचा इस कवच से बाहर निकल कर जिंदगी को जीना चाहिए। अब मैं बलवान हो गया हूं , मुझे कवच की जरूरत नहीं है।
कुछ बड़ा कर गुजरने की कोई आयु नहीं होती। अपनी प्रतिभा से समाज को भी बदला जा सकता है।
कहानी के जोबन का उभार और बोल-चाल की दुलहिन का सिंगार किसी देश में किसी राजा के घर एक बेटा था। उसे उसके माँ-बाप और सब घर के लोग कुँवर उदैभान करके पुकारते थे। सचमुच उसके जीवन की जोत में सूरज की एक सोत आ मिली थी। उसका अच्छापन और भला लगना कुछ ऐसा न था जो इंशा अल्ला ख़ाँ